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कविता

तुम्हारा कहा सुना है मैंने

ओम नागर


तुमने कहा - प्रेम
मैंने कहा - सचमुच !

तुमने फिर कहा - प्रेम
मैंने कहा - सोच लो !

तुमने फिर से कहा - प्रेम
मैंने कहा - आँसू बहुत हैं !

तुमने एक बार फिर से कहा - प्रेम
मैंने कहा - सह सकोगे जुदाई

तुमने दुबारा फिर से कहा - प्रेम
मैं सोचता रहा नफरत के बारे में

तुम्हारा कहा सुना है मैंने।
 


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